लखनऊ । र् यूमेटॉयड आर्थराइटिस यानी की र् यूमेटिक गठिया एक ऑटो इम्यून रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा जोड़ों पर होने वाले हमले से रोगी गठिया का शिकार हो जाता है। जोड़ों के आस-पास सूजन से शुरू होने वाली इस बीमारी के शिकार हर आयुवर्ग के लोग हो रहे हैं। जोड़ों के आस-पास सूजन, दर्द, कड़ापन, जोड़ों की कार्यक्षमता का कम होना, लालिमा, मांसपेशियों कि कमजोरी आदि इस रोग के प्रारंभिक लक्षण हैं। उक्त जानकारी डॉ. पंकज भारती ने प्रेसवार्ता के दौरान दी।
डॉ. पंकज भारती ने कहा, “शारीरिक सक्रियता ही जोड़ों को स्वस्थ रखने का रामबाण इलाज है।” डॉ. भारती कहना है कि र् यूमेटॉयड गठियाँ जीवन शैली की विकृति की देन है। यह एक मामूली से दर्द के रूप में शुरू होता है और धीरे-२ रोगी के जोड़ों को अपंग बना देता है। दोषपूर्ण आहार, तनाव युक्त जीवन और विकृति जीवन शैली से जन्मी इस बीमारी का मुख्य कारक स्वयं की प्रतिरक्षा प्रणाली है। उत्प्रेरक आहार विशेष रूप से दूध, प्रोटीन, गेहूँ प्रोटीन, मक्का और सोया प्रोटीन की रोग में एक विशेष भूमिका है। ये भोजन अपाच्य रूप से शरीर में विचरण करता है और प्रति रक्षी तंत्र को शिथिल करता है। सेल्स में अधिक अम्ल हो जाने के कारण जोड़ों और कोशिकाओं में सूजन जैसे चिन्ह दिखायी देते हैं।
निगरानी और शीघ्र इलाज के अभाव में यह बीमारी एक गंभीर रूप ले सकती है। लोगों का मानना है कि यह एक बढ़ती हुई उम्र का रोग है लेकिन आजकल यह कम उम्र के लोगों और विशेष रूप से बच्चों में अधिक पायी जाती है। विटामिन सी एवं हरी साग-सब्जियों के उपयोग से इस बीमारी के लक्षणों मे सुधार किया जा सकता है।
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