लखनऊ, मंगलवार (आज समाचार सेवा) । गठिया जैसी गम्भीर बीमारी मरीज को धीरे-धीरे असाध्य कर देती है। किसी भी प्रकार की दवा व चिकित्सा से ठीक न हो सकने के कारण रोगियों को घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है। लेकिन होलिस्टिक उपचार रोगियों के लिये वरदान साबित हो रहा है। इस विधि का प्रयोग कर सामान्य तौर पर मरीज बिना दर्द के चल फिर सकता है। गठियां जैसी गंभीर बीमारी से पूर्णतया निजात पाने के उद्देश्यों की जानकारी राजधानी के गोखले मार्ग स्थित होलेस्टिक अस्पताल के डॉ. पंकज भारती ने बताया कि जोड़ों का गठियां आज इसका प्रमुख कारण है आज की त्रुटि पूर्ण जीवन शैली तकनीकी क्रान्ति के इस युग में शारीरिक गतिविधियाँ कम होने और विलासित पूर्ण जीवन के निर्वाह के कारण इस प्रकार की समस्याओं का होना आम बात है। उन्होनें बताया कि जोड़ों का गठिया उम्र के साथ बढ़ता है और अग्रिम अवस्था में दवाओं के उपचार से रोकथाम किया जा सकने वाला रोग असाध्य बन जाता है। किसी भी प्रकार की दवा और चिकित्सा से ठीक न हो सकने के कारण रोगियों को घुटना प्रत्यारोपण की चिकित्सकों द्वारा सलाह दी जाती है। संरचनात्मक विकृति घुटने के जोड़ों के बीच की जगह को कम कर देता है। जिससे मांसपेशियों में संतुलन की कमी के कारण हड्डिया धनुषाकार की हो जाती है। डॉ. भारती ने आगे बताया कि अधिकांश लोग दवाओं के सीमित प्रभाव एवं परिणामों के साथ मंहगें उपचार के कारण घुटना प्रत्यारोपण के विकल्प को चुनना पंसद नहीं करते है। लेकिन घुटना प्रत्यारोपण बिना होलिस्टिक उपचार रोगीयों को नॉन-सर्जिकल के माध्यम से पूर्णतः गठिया बीमारी से निजात पाया जा सकता है। उन्होनें बताया इस पद्धति से उपचार करने पर मरीज दर्द मुक्त हो जाता है तथा पूर्णतः घुटना प्रत्यारोपण से निजात पा सकता है। उन्होने बताया कि ऑस्टियो अर्थराइटिस के होलिस्टिक उपचार के दौरान घुटनों को सपोर्ट देने वाले ऊतको जैसे टेनडेन, लिंगामेंट एवं मांसपेशियों के क्रान्तिक तनाव को दूर कर दिया जाता है।
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